घरेलू अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर में गिरावट और नीतिगत मोर्चे पर रुकावटों के बावजूद विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार में जमकर निवेश किया. 2019 में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारतीय पूंजी बाजार में कुल 1.3 लाख करोड़ का निवेश किया. इसमें से 97.250 करोड़ रुपये का निवेश शेयरों में हुआ.
डिपॉजिटरीज से मिले आंकड़ों के अनुसार, डेट बाजार में 27,000 करोड़ रुपये और हाइब्रिड इंसट्रूमेंट में 9,000 करोड़ रुपये का निवेश किया गया. विशेषज्ञों का मानना है कि साल 2020 में भी सकारात्मक रुझान जारी रहने की उम्मीद है.
बजाज कैपिटल के रिसर्च एवं एडवाइजरी प्रमुख आलोक अग्रवाल ने कहा कि अनुकूल वैश्विक ब्याज दर, केंद्रीय बैंकों की उदार नीति और कंपनियों की कमाई में सुधार को देखते हुए विदेशी निवेशक भारतीय पूंजी बाजार में निवेश कर रहे हैं.
हालांकि, उन्होंने कहा कि अमेरिकी और चीन के बीच जारी ट्रेड वॉर, कच्चे तेल की कीतमों में वृद्धि और भारत की गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में जारी कर्ज संकट के चलते निवेश की चाल बदल सकती है.
इस साल अभी तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारतीय बाजार में 1.33 लाख करोड़ (करीब $19 अरब) का निवेश किया है. इस साल कुछ कारोबारी सत्र अभी बाकी हैं. उन्होंने इस साल 18 लाख करोड़ रुपये की सकल खरीदाकी की है, जबकि 16.7 लाख करोड़ रुपये की सिक्योरिटीज बेची हैं.
यह बीते पांच साल में दूसरा सबसे अधिक निवेश है. इससे पहले 2018 में एफपीआई ने घरेलू पूंजी बाजार से 80,919 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की थी. साल 2017 में विदेशी निवेशकों ने 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया था, जबकि 2016 में 23,000 करोड़ रुपये से अधिक रकम निकाली थी.
विदेशी निवेशकों ने इक्विटी में 2019 में 97,251 करोड़ रुपये का निवेश किया. साल 2018 में उन्होंने शेयर बाजार से 33,014 करोड़ रुपये की निकासी की थी. उन्होंने साल 2017, 2016, 2015 और 2014 में क्रमश: 51,000 करोड़ रुपये, 20,500 करोड़ रुपये, 17,800 करोड़ रुपये और 97,054 करोड़ रुपये का निवेश किया.
एफपीआई द्वारा साल 2019 का इक्विटी निवेश बीते छह सालों में सबसे अधिक है. इससे पहले उन्होंने साल 2013 में सिर्फ इक्विटीज में ही 1.13 लाख करोड़ रुपये लगाए, जबकि साल 2012 में 1.28 लाख करोड़ रुपये का शेयर बाजार में निवेश किया था.
एफपीआई ने साल 2018 में डेट बाजार से 47,795 करोड़ रुपये की निकासी की थी. जबकि साल 2019 में उन्होंने नेट 26,828 करोड़ रुपये लगाए. बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, इस साल विदेशी निवेशकों ने कई घरेलू और वैश्विक कारणों के चलते भारतीय पूंजी बाजार में निवेश किया है.
विदेशी निवेशकों ने इक्विटी में 2019 में 97,251 करोड़ रुपये का निवेश किया. साल 2018 में उन्होंने शेयर बाजार से 33,014 करोड़ रुपये की निकासी की थी. उन्होंने साल 2017, 2016, 2015 और 2014 में क्रमश: 51,000 करोड़ रुपये, 20,500 करोड़ रुपये, 17,800 करोड़ रुपये और 97,054 करोड़ रुपये का निवेश किया.
एफपीआई द्वारा साल 2019 का इक्विटी निवेश बीते छह सालों में सबसे अधिक है. इससे पहले उन्होंने साल 2013 में सिर्फ इक्विटीज में ही 1.13 लाख करोड़ रुपये लगाए, जबकि साल 2012 में 1.28 लाख करोड़ रुपये का शेयर बाजार में निवेश किया था.
एफपीआई ने साल 2018 में डेट बाजार से 47,795 करोड़ रुपये की निकासी की थी. जबकि साल 2019 में उन्होंने नेट 26,828 करोड़ रुपये लगाए. बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, इस साल विदेशी निवेशकों ने कई घरेलू और वैश्विक कारणों के चलते भारतीय पूंजी बाजार में निवेश किया है.
मॉर्निंगस्टार इंडिया के वरिष्ठ रिसर्च विश्लेषक हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, "अमेरिका में ब्याज दरों में नरमी और दूसरे भाग में 75 बेसिस अंक की कमी के साथ ट्रेड डील पर सकारात्मक समझौते के उम्मीदों ने निवेशकों को उभरते हुए बाजार में जोखिम उठाने के लिए आकर्षित किया है."
सरकार ने बजट में टैक्स बढ़ाने का एलान किया था. बाद में उसने राहत का एलान किया. इसके अलावा कॉर्पोरेट टैक्स दरों में भी आई है. इससे सरकार को $20 अरब तक की चपत लग सकती है. इसके अलावा ब्याज दरों में भी 135 बेसिस अंकों तक की गिरावट आई है. हालांकि, विकास दर अभी भी चिंता का सबब बनी हुई है.
साल 2019 में विदेशी निवेशकों ने डेट के बजाय इक्विटी निवेश पर जोर दिया है. आईडीबीआई बैंक के कार्यकारी निदेशक और ट्रेजरी प्रमुख अशोक गौतम का मानना है कि वित्तीय सेक्टर, विशेष तौर पर एनबीएफसी सेक्टर पर खासा दबाव है. इसी वजह से डेट बाजार से विदेशी निवेशक दूर रहे हैं.
ग्रो के सह-संस्ताथक और सीओओ हर्ष जैन ने कहा, "इक्विटी निवेश के जरिए निवेशकों को अधिक रिटर्न की उम्मीद रहती है. बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में ब्याज दरें कम होने का जोखिम रहता है. इसी वजह से विदेशी निवेशकों ने इक्विटी पर जोर दिया और भारत के शेयर बाजार में निवेश किया."
विदेशी निवेशकों ने सबसे अधिक निवेश बैंक, तेल एवं गैस, बीमा सेक्टर की कंपनियों में किया. निजी बैंकों की चमक सबसे अधिक बिखरी. नई सूचीबद्ध होने वाली बीमा कंपनियों में भी निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ी. जनवरी में विदेशी निवेशकों ने निकासी से शुरुआत की थी, मगर फिर लिवाल बन गए.
हालांकि, फरवरी से जून तक खरीदारी करने के बाद विदेशी निवेशकों ने जुलाई और अगस्त महीने में शुद्ध रूप से 30,000 करोड़ रुपये की बिकवाली की थी. इस दौरान सरकार ने अत्यधिक अमीर पर सरचार्ज लाहू किया था, जबकि वैश्विक स्तर पर ट्रेड वॉर में भी तूफान मचा हुआ था.
सितंबर से विदेशी निवेशकों का रुख बदला और उन्होंने लगातार खरीदारी की. सरकार ने टैक्स दरों में कटौती जैसे कई बड़े कमद उठाए, जिससे कमजोर पड़ रही अर्थव्यवस्था में जान फूंकी जा सके और घटते निवेश को एक बार फिर बल दिया जा सके.
सैम्को सिक्योरिटीज के उमेश मेहता का मानना है कि साल 2020 में भी विदेशी निवेशकों के रुख में कोई बदलाव नहीं होगा, बशर्ते कोई बड़ी अस्थिरता न आए. आईआईएफएल सिक्योरिडीज के सीईओ अरिंदम चंदा का मानना है कि साल 2020 में विदेशी निवेशक बड़ी लार्जकैप कंपनियों से बाहर होगा.
डिपॉजिटरीज से मिले आंकड़ों के अनुसार, डेट बाजार में 27,000 करोड़ रुपये और हाइब्रिड इंसट्रूमेंट में 9,000 करोड़ रुपये का निवेश किया गया. विशेषज्ञों का मानना है कि साल 2020 में भी सकारात्मक रुझान जारी रहने की उम्मीद है.
बजाज कैपिटल के रिसर्च एवं एडवाइजरी प्रमुख आलोक अग्रवाल ने कहा कि अनुकूल वैश्विक ब्याज दर, केंद्रीय बैंकों की उदार नीति और कंपनियों की कमाई में सुधार को देखते हुए विदेशी निवेशक भारतीय पूंजी बाजार में निवेश कर रहे हैं.
हालांकि, उन्होंने कहा कि अमेरिकी और चीन के बीच जारी ट्रेड वॉर, कच्चे तेल की कीतमों में वृद्धि और भारत की गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में जारी कर्ज संकट के चलते निवेश की चाल बदल सकती है.
इस साल अभी तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारतीय बाजार में 1.33 लाख करोड़ (करीब $19 अरब) का निवेश किया है. इस साल कुछ कारोबारी सत्र अभी बाकी हैं. उन्होंने इस साल 18 लाख करोड़ रुपये की सकल खरीदाकी की है, जबकि 16.7 लाख करोड़ रुपये की सिक्योरिटीज बेची हैं.
यह बीते पांच साल में दूसरा सबसे अधिक निवेश है. इससे पहले 2018 में एफपीआई ने घरेलू पूंजी बाजार से 80,919 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की थी. साल 2017 में विदेशी निवेशकों ने 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया था, जबकि 2016 में 23,000 करोड़ रुपये से अधिक रकम निकाली थी.
विदेशी निवेशकों ने इक्विटी में 2019 में 97,251 करोड़ रुपये का निवेश किया. साल 2018 में उन्होंने शेयर बाजार से 33,014 करोड़ रुपये की निकासी की थी. उन्होंने साल 2017, 2016, 2015 और 2014 में क्रमश: 51,000 करोड़ रुपये, 20,500 करोड़ रुपये, 17,800 करोड़ रुपये और 97,054 करोड़ रुपये का निवेश किया.
एफपीआई द्वारा साल 2019 का इक्विटी निवेश बीते छह सालों में सबसे अधिक है. इससे पहले उन्होंने साल 2013 में सिर्फ इक्विटीज में ही 1.13 लाख करोड़ रुपये लगाए, जबकि साल 2012 में 1.28 लाख करोड़ रुपये का शेयर बाजार में निवेश किया था.
एफपीआई ने साल 2018 में डेट बाजार से 47,795 करोड़ रुपये की निकासी की थी. जबकि साल 2019 में उन्होंने नेट 26,828 करोड़ रुपये लगाए. बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, इस साल विदेशी निवेशकों ने कई घरेलू और वैश्विक कारणों के चलते भारतीय पूंजी बाजार में निवेश किया है.
विदेशी निवेशकों ने इक्विटी में 2019 में 97,251 करोड़ रुपये का निवेश किया. साल 2018 में उन्होंने शेयर बाजार से 33,014 करोड़ रुपये की निकासी की थी. उन्होंने साल 2017, 2016, 2015 और 2014 में क्रमश: 51,000 करोड़ रुपये, 20,500 करोड़ रुपये, 17,800 करोड़ रुपये और 97,054 करोड़ रुपये का निवेश किया.
एफपीआई द्वारा साल 2019 का इक्विटी निवेश बीते छह सालों में सबसे अधिक है. इससे पहले उन्होंने साल 2013 में सिर्फ इक्विटीज में ही 1.13 लाख करोड़ रुपये लगाए, जबकि साल 2012 में 1.28 लाख करोड़ रुपये का शेयर बाजार में निवेश किया था.
एफपीआई ने साल 2018 में डेट बाजार से 47,795 करोड़ रुपये की निकासी की थी. जबकि साल 2019 में उन्होंने नेट 26,828 करोड़ रुपये लगाए. बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, इस साल विदेशी निवेशकों ने कई घरेलू और वैश्विक कारणों के चलते भारतीय पूंजी बाजार में निवेश किया है.
मॉर्निंगस्टार इंडिया के वरिष्ठ रिसर्च विश्लेषक हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, "अमेरिका में ब्याज दरों में नरमी और दूसरे भाग में 75 बेसिस अंक की कमी के साथ ट्रेड डील पर सकारात्मक समझौते के उम्मीदों ने निवेशकों को उभरते हुए बाजार में जोखिम उठाने के लिए आकर्षित किया है."
सरकार ने बजट में टैक्स बढ़ाने का एलान किया था. बाद में उसने राहत का एलान किया. इसके अलावा कॉर्पोरेट टैक्स दरों में भी आई है. इससे सरकार को $20 अरब तक की चपत लग सकती है. इसके अलावा ब्याज दरों में भी 135 बेसिस अंकों तक की गिरावट आई है. हालांकि, विकास दर अभी भी चिंता का सबब बनी हुई है.
साल 2019 में विदेशी निवेशकों ने डेट के बजाय इक्विटी निवेश पर जोर दिया है. आईडीबीआई बैंक के कार्यकारी निदेशक और ट्रेजरी प्रमुख अशोक गौतम का मानना है कि वित्तीय सेक्टर, विशेष तौर पर एनबीएफसी सेक्टर पर खासा दबाव है. इसी वजह से डेट बाजार से विदेशी निवेशक दूर रहे हैं.
ग्रो के सह-संस्ताथक और सीओओ हर्ष जैन ने कहा, "इक्विटी निवेश के जरिए निवेशकों को अधिक रिटर्न की उम्मीद रहती है. बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में ब्याज दरें कम होने का जोखिम रहता है. इसी वजह से विदेशी निवेशकों ने इक्विटी पर जोर दिया और भारत के शेयर बाजार में निवेश किया."
विदेशी निवेशकों ने सबसे अधिक निवेश बैंक, तेल एवं गैस, बीमा सेक्टर की कंपनियों में किया. निजी बैंकों की चमक सबसे अधिक बिखरी. नई सूचीबद्ध होने वाली बीमा कंपनियों में भी निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ी. जनवरी में विदेशी निवेशकों ने निकासी से शुरुआत की थी, मगर फिर लिवाल बन गए.
हालांकि, फरवरी से जून तक खरीदारी करने के बाद विदेशी निवेशकों ने जुलाई और अगस्त महीने में शुद्ध रूप से 30,000 करोड़ रुपये की बिकवाली की थी. इस दौरान सरकार ने अत्यधिक अमीर पर सरचार्ज लाहू किया था, जबकि वैश्विक स्तर पर ट्रेड वॉर में भी तूफान मचा हुआ था.
सितंबर से विदेशी निवेशकों का रुख बदला और उन्होंने लगातार खरीदारी की. सरकार ने टैक्स दरों में कटौती जैसे कई बड़े कमद उठाए, जिससे कमजोर पड़ रही अर्थव्यवस्था में जान फूंकी जा सके और घटते निवेश को एक बार फिर बल दिया जा सके.
सैम्को सिक्योरिटीज के उमेश मेहता का मानना है कि साल 2020 में भी विदेशी निवेशकों के रुख में कोई बदलाव नहीं होगा, बशर्ते कोई बड़ी अस्थिरता न आए. आईआईएफएल सिक्योरिडीज के सीईओ अरिंदम चंदा का मानना है कि साल 2020 में विदेशी निवेशक बड़ी लार्जकैप कंपनियों से बाहर होगा.

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