Trade Nivesh : म्यूचुअल फंड वितरक अचानक छोटे और अमीर निवेशकों को स्मॉलकैप स्कीमों में निवेश की सलाह दे रहे हैं. उनका कहा है कि कई बुनियादी वजहों से इन स्कीमों का आकर्षण बढ़ रहा है.
जीईपीएल कैपिटल के म्यूचुअल फंड प्रमुख रुपेश भंसाली ने कहा, "मौजूदा समय में लार्जकैप काफी अधिक वैल्यूएशन पर कारोबार कर रहे हैं. उनकी वैल्यूएशन अधिक हो गई है. उसमें निकट भविष्य में कमाई की ग्रोथ के अनुमान भी शामिल हैं."
उन्होंने कहा, "जो निवेशकी दीर्घावधि में फायदा उठाना चाहते हैं, उन्हें स्मॉलकैप स्कीमों का रुख करना चाहिए और पोर्टफोलियो में विविधता लानी चाहिए." वितरक निवेशकों को तीन प्रमुख कारणों के चलते स्मॉलकैप स्कीमों में निवेश की सलाह दे रहे हैं.
पहला, लार्जकैप और स्मॉलकैप कंपनियों की वैल्यूएशन के बीच काफी अधिक फर्क है. यह फासला ऐतिहासिक औसत से अधिक है. बीते पांच सालों में लार्जकैप शेयर स्मॉलकैप शेयरों की तुलना में 5 फीसदी के प्रीमियम पर कारोबार करते आए हैं. मगर अब यह बढ़कर 34 फीसदी तक पहुंच गया है.
दूसरा, पुन:वर्गीकरण के बाद इंडेक्स में निवेश करने के आसार बढ़े हैं. पहले स्मॉलकैप शेयरों में क्वालिटी नाम इक्का-दुक्का ही हुआ करते थे. मगर अब इनकी भरमार है. फंड मैनेजर्स मुनाफा देने वाली कंपनियों की पहचान कर सकते हैं. इस समय स्मॉलकैप शेयरों से 251 से 500 नंबर वाली कंपनियां हैं.
तीसरा, यह देखा गया है कि जब लार्डकैप शेयर महंगे हो जाते हैं, जो इसकी अगली तेजी मिडकैप शेयर और फिर स्मॉलकैप शेयरों में आती है. इन वजहों के मद्दनजर वितरक निवेशकों को कम से कम पांच साल की अवधि के साथ स्मॉलकैप शेयरों में निवेश की सलाह दे रहे हैं.
स्मॉलकैप स्कीमों में एसबीआई स्मॉलकैप, एक्सिस स्मॉलकैप और लार्सन एंड टुब्रो एमर्जिंग बिजनेस रिटर्न के मामले टॉप तीन स्थानों पर हैं. वितरक रिटेल निवेशकों को सिप के जरिए स्मॉलकैप स्कीमों में निवेश की सलाह दे रहे हैं.
जीईपीएल कैपिटल के म्यूचुअल फंड प्रमुख रुपेश भंसाली ने कहा, "मौजूदा समय में लार्जकैप काफी अधिक वैल्यूएशन पर कारोबार कर रहे हैं. उनकी वैल्यूएशन अधिक हो गई है. उसमें निकट भविष्य में कमाई की ग्रोथ के अनुमान भी शामिल हैं."
उन्होंने कहा, "जो निवेशकी दीर्घावधि में फायदा उठाना चाहते हैं, उन्हें स्मॉलकैप स्कीमों का रुख करना चाहिए और पोर्टफोलियो में विविधता लानी चाहिए." वितरक निवेशकों को तीन प्रमुख कारणों के चलते स्मॉलकैप स्कीमों में निवेश की सलाह दे रहे हैं.
पहला, लार्जकैप और स्मॉलकैप कंपनियों की वैल्यूएशन के बीच काफी अधिक फर्क है. यह फासला ऐतिहासिक औसत से अधिक है. बीते पांच सालों में लार्जकैप शेयर स्मॉलकैप शेयरों की तुलना में 5 फीसदी के प्रीमियम पर कारोबार करते आए हैं. मगर अब यह बढ़कर 34 फीसदी तक पहुंच गया है.
दूसरा, पुन:वर्गीकरण के बाद इंडेक्स में निवेश करने के आसार बढ़े हैं. पहले स्मॉलकैप शेयरों में क्वालिटी नाम इक्का-दुक्का ही हुआ करते थे. मगर अब इनकी भरमार है. फंड मैनेजर्स मुनाफा देने वाली कंपनियों की पहचान कर सकते हैं. इस समय स्मॉलकैप शेयरों से 251 से 500 नंबर वाली कंपनियां हैं.
तीसरा, यह देखा गया है कि जब लार्डकैप शेयर महंगे हो जाते हैं, जो इसकी अगली तेजी मिडकैप शेयर और फिर स्मॉलकैप शेयरों में आती है. इन वजहों के मद्दनजर वितरक निवेशकों को कम से कम पांच साल की अवधि के साथ स्मॉलकैप शेयरों में निवेश की सलाह दे रहे हैं.
स्मॉलकैप स्कीमों में एसबीआई स्मॉलकैप, एक्सिस स्मॉलकैप और लार्सन एंड टुब्रो एमर्जिंग बिजनेस रिटर्न के मामले टॉप तीन स्थानों पर हैं. वितरक रिटेल निवेशकों को सिप के जरिए स्मॉलकैप स्कीमों में निवेश की सलाह दे रहे हैं.

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