भारत बॉन्ड ईटीएफ को करीब दोगुनी बोलियां मिली, छोटे निवेशकों ने भी दिखाई दिलचस्पी

 ट्रेड निवेश  भारत बॉन्ड ईटीएफ का इश्यू शुक्रवार को सब्सक्रिप्शन के लिए बंद हो गया. यह इश्यू 12 दिसंबर को निवेश के लिए खुला था. इसे अपनी पहली किस्त में 12,000 करोड़ रुपये का सब्सक्रिप्शन मिला. भारत बॉन्ड ईटीएफ रिटेल निवेशकों से पैसा जुटाने का एक सरकारी इंस्ट्रूमेंट हैं.




देश की सबसे बड़े डेट फंड को 1.71 गुना का सब्सक्रिप्शन मिला, जिसमें घरेलू रिटेल और अप्रवासी भारतीयों (एनआरआई) ने जमकर निवेश किया. भारत बॉन्ड ईटीएफ AAA रेटिंग वाली सरकारी कंपनियों बॉन्ड में निवेश करेगा. यह भारत का ऐसा पहला ईटीएफ है.

इस फंड का प्रबंधन एडलवाइज ने किया है. एके कैपिटल भारत सरकार की इकलौती सलाहकार रही. इस फंड ऑफर ने अमीर निवेशकों, कॉर्पोरेट घरानों और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को भी आकर्षित किया, जिन्हें सुरक्षा के साथ टॉप कंपनियों में निवेश का अवसर मिला.

विश्लेषकों के अनुसार, इतनी बड़ी रकम को सफलता के रूप में देखा जाना चाहिए. खासतौर से ऐसे समय में जब निवेशकों सुरक्षा की तलाश कर रहे हैं. इस इश्यू में निर्धारित मैच्योरिटी तिथि, लिक्विडिटी और 1 पैसे से कम का खर्च अनुपात रखा गया है, जो इसकी मांग बढ़ाता है.

ईटीएफ की मैच्योरिटी अवधि निर्धारित है. तीन साल की मैच्योरिटी वाले फंड निफ्टी भारत बॉन्ड इंडेक्स अप्रैल 2023 और 10 साल की मैच्योरिटी वाले फंड निफ्टी भारत बॉन्ड ईटीएफ 2030 के अनुसार चलेंगे. इन बॉन्ड की यील्ड 6.7 फीसदी से 7.6 फीसदी तक बताई जा रही है.

इसकी तीन साल की अवधि पर आपको 6.69 फीसदी, जबकि 10 साल की अवधि पर 7.58 फीसदी का ब्याज मिलेगा, जो भारतीय स्टेट बैंक की फिक्स्ड डिपोजिट की 6.25 फीसदी की ब्याज दर से बेहतर है. आईसीआईसीआई डायरेक्ट ने कहा, "भारत बॉन्ड ईटीएफ एक टैक्स कुशल दीर्घावधि डेट निवेश विकल्प नजर आता है."

भारत बॉन्ड ईटीएफ पर डेट म्यूचुअल फंडों (3 साल से अधिक रखने पर इंडेक्सेशन के लाभ के साथ 20 फीसदी) की तरह ही टैक्स का नियम लागू होगा, जिसके बाद तीन साल और 10 साल की यील्ड क्रमश: 6.3 फीसदी और 7 फीसदी बनती है.

आवंटन के 30 दिनों के भीतर ही भुनाने पर 0.10 फीसदी का एग्जिट लोड लागू होगा. हालांकि, यूनिटों के आवंटन के 30 दिन के बाद खरीद-फरोख्त या बदलाव होता है, तो कई शुल्क लागू नहीं होगा. इंडेक्स में शामिल कंपनियों का संतुलन हर तीन महीनों में चेक किया जाएगा और बकाया राशि के आधार पर ही हिस्सेदारी तय होगी.

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