Will Air India-Bharat Petroleum be sold in the year 2020?

मोदी सरकार नए साल में भारत पेट्रोलियम और एयर इंडिया को बेचने की कोशिश कर सकती है. यह वास्तव में केंद्र सरकार के रिफॉर्म एजेंडे का एक हिस्सा है. मोदी सरकार वास्तव में घाटे में चल रही कंपनियों को बेचना चाहती है.




मोदी सरकार बीपीसीएल की बिक्री के माध्यम से विदेशी कंपनियों को भारत में रिफाइनरी कारोबार में एंट्री दे सकती है.

भारत इस समय फॉसिल फ्यूल का बड़ा बाजार है. बीपीसीएल में रणनीतिक बिक्री के लिए डेलॉयट को सलाहकार नियुक्त किये जाने के साथ ही अब इसकी बिक्री की प्रक्रिया रफ्तार पकड़ चुकी है. अब बीपीसीएल के कर्मियों का प्रतिरोध भी नर्म पड़ा है.

कुछ दिन पहले ही खबर आई थी कि देश की बड़ी सरकारी महारत्न तेल और गैस कंपनी बीपीसीएल यानी भारत पेट्रोलियम को सऊदी अरामको खरीद सकती है. रिपोर्ट में बताया गया है कि डील 510 रुपये से 1100 रुपये प्रति शेयर के बीच हो सकती है. हालांकि इस बारे में केंद्र सरकार की ओर से कोई बयान जारी नहीं हुआ है.

एयर इंडिया की कहानी हालांकि बिलकुल अलग है. बरसों के कुप्रबंधन की वजह से अब यह निवेशकों के लिए आकर्षक नहीं रह गया है. इसके साथ ही 49 फीसदी की सीमा की वजह से विदेशी निवेशकों के लिए इसमें कोई आकर्षण नहीं है.

एयर इंडिया का कर्ज बढ़कर 80,000 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है और उसे रोजाना 22-25 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है. एयर इंडिया पर कर्ज का बोझ इस हद पर पहुंच चुका है जहां उसके ऋण का प्रबंधन संभव नहीं है और एयरलाइन के निजीकरण के अलावा कोई उपाय नहीं है.

वास्तव में घरेलू विमानन कंपनियों के लिए एयर इंडिया खरीदना फायदेमंद नहीं है. इस साल एयर इंडिया को करीब 9,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है एक बार केंद्र सरकार पहले भी इसकी हिस्सेदारी बिक्री में असफल रह चुकी है. इस बार सरकार किसी भी सुरत में पीछे नहीं हटना चाहती. एयर इंडिया का कर्ज घटाकर मोदी सरकार इसे आकर्षक सौदा बनाने की कोशिश कर रही है.

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